ऐ इन्सानों

ऐ इन्सानों

गजानन माधव मुक्तिबोध

आँधी के झूले पर झूलो

आग बबूला बन कर फूलो

कुरबानी करने को झूमो

लाल सबेरे का मूँह चूमो

ऐ इन्सानों ओस न चाटो

अपने हाथों पर्वत काटो

पथ की नदियाँ खींच निकालो

जीवन पीकर प्यास बुझालो रोटी तुमको

राम न देगा

वेद तुम्हारा काम न देगा

जो रोटी का युद्ध करेगा

वह रोटी को आप वरेगा ।