मीराबाई के सुबोध पद

10. राग कामोद

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आली रे, मेरे नैणां बाण पड़ी।। चित्त चढ़ी मेरे माधुरी मूरत, उर बिच आन अड़ी। कबकी ठाड़ी पंथ निहारूं, अपने भवन खड़ी।। कैसे प्राण पिया बिनुं राखूं, जीवनमूल जड़ी। मीरा गिरधर हाथ बिकानी, लोग कहैं बिगड़ी।।10।।

शब्दार्थ /अर्थ :- नैणा =नयनों में, आंखों में। बाण =आदत। आन अड़ी =आकर अड़ गई अर्थात समा गई। जीवनमूल = संजीवनी बूटी।