मीराबाई के सुबोध पद

35. राग पीलू

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साजन घर आओनी मीठा बोला।। कदकी ऊभी मैं पंथ निहारूं थारो, आयां होसी मेला।। आओ निसंक, संक मत मानो, आयां ही सुक्ख रहेला।। तन मन वार करूं न्यौछावर, दीज्यो स्याम मोय हेला।। आतुर बहुत बिलम मत कीज्यो, आयां हो रंग रहेला।। तुमरे कारण सब रंग त्याग्या, काजल तिलक तमोला।। तुम देख्या बिन कल न पड़त है, कर धर रही कपोला।। मीरा दासी जनम जनम की, दिल की घुंडी खोला।।35।।

शब्दार्थ /अर्थ :- ऊभी =खड़ी। आयां होसी मेला =आने से मिलन होगा। हेला =पुकार। रंग आनंद। तमोला = ताम्बूल, पान। कपोला = गाल पर। घुंडी = गांठ।