मीराबाई के सुबोध पद

41. राग त्रिवेनी

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(मेरे) नैना निपट बंकट छबि अटके।। देखत रूप मदनमोहनको पियत पियूख न मटके। बारिज भवां अलक टेढ़ी मनौ अति सुगंधरस अटके।। टेढ़ी कटि टेढ़ी कर मुरली टेढ़ी पाग लर लटके। मीरा प्रभु के रूप लुभानी गिरधर नागर नटके।।2।।

शब्दार्थ /अर्थ :- निपट =बिल्कुल। बंकट =टेढ़े, श्रीकृष्ण का एक नाम त्रिभंगी भी है अर्थात तीन टेढ़ों से खड़े हुए बांके बिहारी। पियूख =पीयूष, अमृत। भटके =फिरे। भवां = भौंह। अटके =उलझ गये। लर =मोतियों की लड़ी पर। लटकें =शोभित हो गये नटके =नटवर कृष्ण के।